अब पूरा देश उन्हीं नाथूराम गोडसे के राममंदिर में तब्दील है जहां हम अपनी अपनी पहचान और आस्था के मुताबिक नतमस्तक हैं।यही आज का सबसे भयंकर सच है।
ममता के सर पर ग्यारह लाख का इनाम वाला वीडियो वाइरल तो मकसद पूरे भारत में दंगा भड़काने का है!
चूंकि किसी मुख्यमंत्री के सर पर यह इनाम घोषित हुआ है तो माननीय सांसदगण मुखर हैं।किसी पानसारे, दाभोलकर, कलबुर्गी या रोहित वेमुला की हत्या पर संसद में सन्नाटा ही पसरा रहा है। इनकी और देश भर में गोरक्षा के नाम तमाम बेगुनाहों की निंरतर हो रही हत्याओं के अलावा शहीद की बेटी गुरमेहर कौर और बांग्ला की युवा कवियित्री मंदाक्रांता से लेकर देशभर में स्त्री के खिलाफ बलात्कार, सामूहिक बलात्कार की धमकियों और ज्यादातर मामलों में वारदातों के खिलाफ संविधान,संसद और कानून की खामोशी का कुल नतीजा यह है।
पलाश विश्वास
भारत के किसी राज्य की मुख्यमंत्री के सर पर ग्यारह लाख के इनाम की घोषणा से संसदीय बहस की गर्मागर्मी से हालात कितने संगीन हैं, इसका अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल है। चूंकि किसी मुख्यमंत्री के सर पर यह इनाम घोषित हुआ है तो माननीय सांसदगण मुखर हैं। किसी पानसारे, दाभोलकर, कलबुर्गी या रोहित वेमुला की हत्या पर संसद में सन्नाटा ही पसरा रहा है। इनकी और देश भर में गोरक्षा के नाम तमाम बेगुनाहों की निंरतर हो रही हत्याओं के अलावा शहीद की बेटी गुरमेहर कौर और बांग्ला की युवा कवियित्री मंदाक्रांता से लेकर देशभर में स्त्री के खिलाफ बलात्कार,सामूहिक बलात्कार की धमकियों और ज्यादातर मामलों में वारदातों के खिलाफ संविधान,संसद और कानून की खामोशी का कुल नतीजा यह है।
जाहिर है कि ममता के खिलाफ इस धमकी की प्रतिक्रिया भी उस बंगाल में घनघोर होने वाली है,जो बंगाल कवियत्री मंदाक्रांता सेन के खिलाफ सामूहिक बलात्कार की धमकी के खिलाफ खामोश रहा है,वह अब मुखर नजर आ रहा है।विडंबना तो यह है कि मंदाक्रांता और श्रीजात के मामले में सरकरा ने कुछ भी नहीं किया और सत्तादल ने रामनवमी के जवाब में हनुमान पूजा का प्रचलन किया।विडंबना यह है कि बंगाल में स्त्री उत्पीड़न बाकी भारत से ज्यादा है और जो मुख्यमंत्री इन तमाम मामलों में कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए मशहूर हैं,वे आज इस तरह के धर्मांध फतवे के निशाने पर हैं।धर्मोन्मादी राजनीति के लिए खुल्ला मैदान छोड़ने और बाकी विपक्ष के सफाये के आत्मध्वंस का यह बेहद खतरनाक उदाहरण है तो इस अग्निगर्भ परिस्थितियों से बंगाल और बाकी देश को निकालने के लिए ममता बनर्जी इस घटनाक्रम से क्या सबक लेकर फासिज्म के राजकाज के खिलाफ कैसे मोर्चा संभालती है,यह देखना दिलचस्प होगा।हालांकि शुरु आती प्रतिक्रिया में उन्होंने ऐलान कर दिया है कि दंगाइयों को बंगाल में दंगा भड़काने का कोई मौका वे नहीं देंगी।फिरभी बंगाल के हर जिले में धार्मिक ध्रूवीकरण की वजह से इतना घना तनाव है,जो भारत विभाजन के वक्त भी कभी नहीं था।
टीवी चैनल पर जो सुशील भद्र चेहरों का मुखर हुजूम अब सहिष्णुता, विविधता और बहुलता की बात कर रहा है। वे ही लोग बंगाल और बाकी देश में अब तक ऐसे तमाम मामलों में भारतीय संसद और न्यायपालिका की तरह खामोश रहे हैं।
जो संस्थागत फासिज्म की विचारधारा और संगठन है,राजकाज जिसका निरंकुश है,उसके हजार चेहरे हैं जो परस्परविरोधी बातें कहकर लोकतंत्र और स्वतंत्रता का विभ्रम फैलाकर देश को गैस चैंबर बनाकर अपने नरसंहार और अनचाही जनसंख्या के निरंकुश सफाये के एजंडे को वैश्विक जायनी दुश्चक्र के तहत मीडिया के मार्फत अंजाम दे रहे हैं,यह सबकुछ उनके सुनियोजित योजनाबद्ध चरणबद्ध कार्यक्रम के तहत हो रहा है।
सारी क्रिया प्रतिक्रिया का कुल नतीजा फिर फिर भारत का धर्मोन्मादी विभाजन, विखंडन और अखंड मनुस्मृति शासन है।एकाधिकार कारपोरेट राज है।
प्रतिक्रिया से वे लगातार मजबूत हो रहे हैं जबकि प्रतिरोध सिरे से असंभव होता जा रहा है।धर्मांध ध्रूवीकरण लगातार तेज करते रहना उनका मकसद है और इसे तेज करने में उनके विरोधी उनका बखूब साथ दे रहे हैं।
मसलन अब हत्या की सुपारी का वीडियो वाइरल है।
मीडिया बाकायदा सर कलम करने की धमकी देने वाले का अभूतपूर्व महिमामंडन कर रहा है।
इस अकेले संस्थागत विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध प्रशिक्षित बलिप्रदत्त कार्यकर्ता के इस उद्गार का भारतीय खंडित मानस और धर्मांध दिग्भर्मित युवा मानस पर क्या क्रिया प्रतिक्रिया होगी,इसके बारे में कोई चिंता किसी की नजर नहीं आ रही है।
जाहिर है कि शहादत की एक श्रंखला तैयार करने की यह एक रणनीति है,जो हमें बंगाल बिहार और बाकी देश में अब लगातार मुकम्मल हिंदू राष्ट्र के गठन होने और उसके बाद लगातार देखना होगा।
हम इस कयामती फिजां से बच नहीं सकते।
गौरतलब है कि भारत में आजादी के तुरंत बाद 30 जनवरी,1948 को जिस विचारधारा के तहत नाथूराम गोडसे ने जिस राजनीतिक फासिस्ट नस्ली संगठन के समर्थनसे प्रार्थना सभा में राम के नाम हे राम कहकर प्राण त्यागने वाले गांधी की हत्या कर दी, ममता बनर्जी का सिर काटने पर इनाम घोषित करनेवाले वैचारिक महासंग्राम के पीछे वे ही लोग हैं। वही संस्थागत नस्ली नरसंहारी संगठन है।विचारधारा वही है।
उस वक्त भी हमने हत्या के पीछे किसी पागल धर्मांध नाथूराम गोडसे की शख्सियत की पड़ताल कर रहे थे और फासिज्म के उस विषवृक्ष को फूलते फलते रोकने की हमने कभी कोशिश नहीं की।
अब पूरा देश उन्हीं नाथूराम गोडसे के राममंदिर में तब्दील है जहां हम अपनी अपनी पहचान और आस्था के मुताबिक नतमस्तक हैं।यही आज का सबसे भयंकर सच है।
आज भी संसदीय बहस के निशाने पर उन्हीं नाथूराम गोडसे का अवतार किसी अनजानायुवा मोर्चा का शायद टीनएजर कार्यक्रता है, जो एक झटके से हिंदू जनमानस के लिए शहादत का श्रेष्ठ उदाहरण स्वरुप प्रस्तुत है।
जाहिर है कि गांधी के हत्यारे के लिए धर्मांध बहुसंख्य हिंदू जनमानस में रामंदिर का निर्माण हो चुका है और उस राममंदिर में बाल्मीकि रामायण, कृत्तिवासी कंबन रामायण या रामचरित मानस के मर्यादा पुरुषोत्तम राम नहीं, फिर उन्हीं नाथूराम गोडसे की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है।
हत्यारों का, नस्ली नरसंहार संस्कृति का यह अभूतपूर्व बजरिया मेइन स्ट्रीम मीडिया महिमामंडन भारतीय लोक गणराज्य के विध्वंस का बाबरी विध्वंस बतर्ज नरसंहारी राजसूय महायज्ञ है,जिसके लिए अब बंगाल का कुरुक्षेत्र तैयार है।
जो भारत में हिंदुत्व की राजनीति के सबसे बड़े समर्थक थे और अछूतों के बाबासाहेब से लेकर सशस्त्र संग्राम के जरिये भरत को स्वतंत्र कराने वाले क्रांतिकारियों और नेताजी तक तमाम विविध विचारधाराओं के मुकाबले हिंदुत्व की ही राजनीति कर रहे थे, उन गांधी की हत्या के बाद वे लगातार भारतीय समाज, अर्थव्यवस्था, संस्कृति, भाषा, साहित्य, लोक, कला माध्यमों में गहरे पैठ चुके हैं,राजनीति ने इसे रोकने के लिए अभी तक कोई पहल की नहीं है।
बल्कि इस हिंदुत्व का लाभ उठाने के लिए तरह तरह के वोटबैंक समीकरण और सोशल इंजीनियरिंग कवायद का सहारा लेकर लगातार इसे मजबूत किया है।
दरअसल यह नस्ली रंगभेद और असमानता और अन्याय की विचारधारा सत्ता वर्ग की साझा मनुस्मृति संस्कृति है और भारतीय राजनीति के सारे कारपोरेट फंडिग वाले दल इसी संस्कृति के घटक हैं और इसी ग्लोबल एजंडे को कार्यान्वित करने के लिए डिजिटल इंडिया के आर्थिक सुधारों के एकाधिकारवादी मुनाफे और हितों में साझेदार हैं।
इसलिए इस नरसंहारी अश्वमेध को रोकने का उनका कोई इरादा है ही नहीं।
न कभी था।जैसे मुस्लिम लीग की साझा राजनीति ब्रिटिश हुकूमत के दौरान भारतीय जनता की आजादी,समता और न्याय के खिलाफ थी,केंद्र और राज्यों की सत्ता में भागेदारी के लिए यह साझेदारी गांधी की ह्ताय के बाद से लगातार जारी है और इस गठबंधन में वामपंथी, समाजावादी,अंबेडकरी से लेकर गांधी विमर्श के झंडेवरदार तक शामिल है और कुल मिलाकर भारत में राजनीति हिंदुत्व की राजनीति है।
जाहिर है कि इस हिंदुत्व की राजनीति में उसकी संस्थागत विचारधारा और उसके संस्थागत संगठन के मुकाबले गुपचुप हिंदुत्व की राजनीति तरह तरहे के रंगबिरंगे झंडे और बैनर के साथ कर रहे राजनीतिक वर्ग बेहद कमजोर हो गया है,क्योंकि मीडिया,बाजार ,कारपोरेट और ग्लोबल आर्डर और साम्राज्यवाद के अखंड समर्थन और अखंड धार्मिक ध्रूवीकरण से फासिज्म का निरंकुश राजकाज का प्रतिरोध सिरे से असंभव हो गया है।
कृपया गौर करें कि हम शुरु से लिख और बोल रहे हैं कि फासीवादी नस्ली नरसंहार कार्यक्रम का यूपी,गुजरात,असम चरण के बाद निर्णायक महाभारत बंगाल का कुरुक्षेत्र है।जहां संस्थागत फासिज्म के राजनीतिक और स्वयंसेवी तमाम सिपाहसालार अपना अपना मोर्चे पर चाकचौबंद इंतजाम के साथ लामबंद हैं।
कृपया गौर करें कि कोलकाता और बंगाल पर य़ह पेशवा हमला भास्कर पंडित की बर्गी सेना की तरह यूपी,मध्य भारत और बिहार को रौंदने के बाद हो रहा है।अबकी दफा में बोनस में असम और समूचा पूर्वोत्तर है।
बाकी भारत उनके अधीनस्थ है।दक्षिण भारत की अनार्य पेरियार भूमि भी।
विडंबना है कि हमारे पढ़े लिखे लोग,खासकर प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्षतावादी जमात के हवा हवाई लोग सच का सामना करने को अब भी तैयार नहीं है।
सारी कवायद ईवीएम के बदले बैलेट पेपर को वापस लेने जैसे बेमतलब के मुद्दों को लेकर हो रही है,जिनसे हालात बदलने वाले नहीं है।
सत्ता का रंगभेदी निर्मम बर्बर मनुष्यताविरोधी,प्रकृतिविरोधी,सभ्यता विरोधी चेहरा बेनकाब है और हम एक ही रंग की बात कर रहे हैं।
बाकी रंग बिरंगे सत्ता अश्वमेधी नरसंहार संस्कृति की हमें कोई परवाह नहीं है।
अब तमाम धमकियों और वारदातों का प्रतिरोध न होने की निरंतरता के मध्य हुआ सिर्फ इतना है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के युवा नेता योगेश वार्ष्णेय ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का सिर काटकर लाने वाले को 11 लाख रुपए इनाम में देने की बात कही है।
गौरतलब है कि उत्तर भारत मेंमुस्लिम शिक्षाकेंद्र अलीगढ़ से यह वीडियो जारी हुआ है तो यह बेमतलब या संजोगवश नहीं है।अलीगढ़ को जानबूझकर धर्मोन्माद भूकंप का एपिसेंटर बना दिया गया है।अब तक इतना ही पता चला है कि योगेश अलीगढ़ में बीजेपी यूथ विंग से जुड़े हुए हैं। जो दी गयी भूमिका का उन्होंने बखूब निर्वाह किया है,उसके मुताबिक उनका एक वीडियो भी सामने आया है। इस मीडिया लायक सनसनीखेज वीडियो में योगेश कहते हैं, 'बंगाल में लाठीचार्ज का वीडियो देखकर कुछ और विचार नहीं आया बस जो कोई ममता बनर्जी का सिर काटकर यहां रख देगा मैं उसे 11 लाख रुपए दूंगा। ममता बनर्जी का सिर काटकर ले आओ 11 लाख रुपए मैं उसे दिलवाउंगा। मैं दूंगा उसे 11 लाख रुपए।'
हम बार बार लगातार बांग्ला,हिंदी और अंग्रेजी में लिख बोल रहे थे कि मंदाक्रामता के बाद अब किसकी बारी है।
बंगाल की अति मुखर स्वयंभू प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्ष सिविल सोसाइटी का महिमांडित बाबू कल्चर,जमींदारी विरासत के भद्र समाज ने इसका कोई नोटिस नहीं लिया।असहिष्णुता के किलाप इन्ही लोगों ने पुरस्कार लोटाने वालों की आलोचनी की थी और बंगाल से साहित्य अकादमी का पुरस्कार लौटाने वाली मंदारक्रांता का बहिस्कार भी इन्हीं लोगों ने कर रखा था।
बंगाल में बेहद बेशर्मी के साथ,बेहद निर्ममता के साथ भारत विभाजन के बाद जनसंख्या का समायोजन पूर्वी बंगाल के अछूत हिंदुओं को देश भर में छितराने और बंगाल में उनके तमाम हकहकूक और जीवन में हर क्षत्र में उन्हें वंचित करने की जनसंख्या राजीति के तहत हुआ है।
सत्तावर्ग ने मुस्लिम वोट बैंक के सहारे दलितों और आदिवासियों का सफाया करके सत्ता पर काबिज रहने की प्रगतिशील धर्मनिरपेक्ष राजनीति की है।जिसमें मुसलमानों का न विकास हुआ है और न उनका कोई भला हुआ है।सच्चर कमिटी की रपट ने सारा खुलासा कर दिया है।जिस वजह से वामपंथियों से मुसलमानों का मोहभंग हो गया।बल्कि वंचित तबकों के लिए मुसलमान इसी वोटबैंक राजलीति की वजह से ही घृणा और वैमनस्य के निशाने पर हैं।यह तबका अब शासिज्म की पैदल सेना है।
संस्थागत फासिज्म की नस्लवादी राजनीति इसी घृणा और वैमनस्य की पूंजी से चल रही है।जाहिर है कि धर्मोन्मादी हिंदुत्व के पक्ष में भीतर ही भीतर एक बड़ा जनाधार बनता रहा है,जिसका मुकाबला भी हिंदुत्व की राजनीति या मुस्लिम वोटबैंक के समीकरण से करने की आत्मघाती राजनीति से किया जाता रहा है।
कुछ दिनों पहले रामनवमी के मौके पर राम के नाम सशस्त्र शक्ति परीक्षण बंगाल के चप्पे चप्पे पर हुआ तो उसी के साथ सत्तादल ने भारी पैमाने पर हनुमान जयंती मनायी ,जिसे मनाने की बंगाल में कोई परंपरा रही नहीं है।इसके बाद हनुमान जयंती जब हिंदुत्ववादियों ने मनायी तो उसको नियंत्रित करने के लिए सरकार और प्रशासन ने कार्रवाई की है।
बहुचर्चित वीडियो इसी सरकारी कार्वाई के खिलाफ राज्य की मुख्यमंत्री को ही निशाना बनाकर जारी कर दिया गया है।इसका मकसद सीधे तौर पर बंगाल में धार्मिक ध्रूवीकरण और संक्रामक और तेज बनाने का है।
जितनी तीव्र प्रतिक्रिया होगी,उतना ही तेझ और भयंकर धार्मिक ध्रूवीकरण होगा,यह सुनियोजित है।
इस पर गौरक करें कि न्यूज एजेंसी ANI में लगी खबर के मुताबिक, योगेश वार्ष्णेय नाम के नेता ने ऐलान किया है कि जो भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का सिर काटकर लाएगा उसे 11 लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा।
एएनआई के मुताबिक, हनुमान जयंती के मौके पर बीरभूम जिले में लोगों की भीड़ ने 'जय श्री राम' के नारे लगाए.भीड़ को तितर-बितर करने के लिए प्रशासन ने लाठीचार्ज के आदेश दिए थे।
गौर करें कि इसी के बाद यह विवादित वीडियो बयान सामने आया। भारतीय जनता पार्टी की युवा शाखा भारतीय जनता युवा मोर्चा के एक कार्यकर्ता ने एलान किया है कि जो कोई पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी का सिर काट कर लायेगा, उसे वह 11 लाख रुपये का इनाम देंगे। योगेश ने कहा है कि पश्चिम बंगाल के बीरभूम में हनुमान जयंती पर हनुमान भक्तों की पिटाई का वीडियो देखकर उनकी आंखें फटी रह गयीं। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी में इंसानियत नाम की कोई चीज नहीं है।
कानूनी कार्रवाई जाहिर है कि होगी।कानून अपने तरीके से काम करेगा। संस्थागत फासिज्म ने गाधी हत्या में अपना हाथ होने के बावजूद दूसरे उग्रवादी आतंकवादी संस्थाओं की तरह उसकी जिम्मेदीरी आज भी स्वीकार नहीं की है लेकिन हत्यारों क महिमांडन उनकी राजनीति का वैचारिक प्रशिक्षण है।
बदस्तूर योगेश से इस संगठन और उसके राजनीतिक घटक ने पल्ला झाड़ लिया। लेकिर संस्थागत नस्ली फासिज्म के वैचारिक प्रशिक्षण में यह वाइरल वीडियो भारतीय. हिंदू मानस और युवा मानस को किस हद तक संक्रमित करेगा,यह समझने वाली बात है और इस संक्रमण का कोई रोकथाम किसी के पास है या नहीं,कम से कम हमें मालूम नही है।
प्रशिक्षित बलिप्रदत्त कार्कर्ता योगेश वार्ष्णेय के इस शहादती बयान पर खास तौर पर गौर करें कि ममता बनर्जी का जो भी सिर काटकर लाएगा, मैं उसे 11 लाख का इनाम दूंगा। उन्होंने सीधे आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी न सरस्वती पूजा होने देती हैं और न ही रामनवमी के मौके पर मेला लगाने देती हैं।यह आम शिकायत बंगाल में बेहद लोकप्रिय हिंदुत्व की बहार बागों में है।
जो आरोप योगेश ने लगाया है ,उसका असर धारिमिक ध्रूवीकरण के लिहाज से रामवाण की तरह होना है।योगेश के मुताबिक हनुमान जयंती के मौके पर लोगों पर लाठीचार्ज हुआ और उन्हें बुरी तरह पिटवाया गया वह मुसलमानों को खुश करने के लिए इफ्तार पार्टी देती हैं।हमेशा मुसलमानों का सपोर्ट करती हैं। इस नेता ने कहा कि वह इस मामले में पीएम, सीएम योगी और संघ को लेटर भेजेंगे।इससे इस वीडियो के असर का अंदाजा लगा लीजिये।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल के बीरभूम में हनुमान जयंती के मौके पर निकाले गए जुलूस पर लाठीचार्ज करने पर योगेश का यह बयान सामने आया है।जहां हनुमान जयंती के मौके पर हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई। पुलिस ने कार्यकर्ताओं को जुलूस की इजाजत नहीं दी थी बल्कि धारा-144 लागू कर दी थी। इसके बावजूद सैकड़ों कार्यकर्ता 'जय श्री राम' के नारों के साथ सड़कों पर उतर आए। इसपर सिउड़ी के बस स्टैंड पर पुलिसकर्मियों ने जुलूस को जब रोका तो गहमागहमी मच गई। पुलिस ने कार्यकर्ताओं को काबू करने के लिए लाठीचार्ज किया और इलाके में रेपिड एक्शन फोर्स को तैनात किया गया। इस दौरान लगभग 10 कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया।
इससे पहले यानी योगेश का वीडियो सामने आने से पहले, भाजपा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर इस मामले में तानाशाही रवैये का आरोप लगाया था।
गौर करें इससे पहले यानी योगेश का वीडियो सामने आने से पहले बंगाल के भगवाकरण राज्य के दौरे पर आए किरन रिजिजू ने आरोप लगाया था कि ममता बनर्जी सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधने के लिए कर रही हैं।
तो समझ लीजिये कि कौन सा तार कहां से जुड़ा है और करंट का ट्रांसमीटर कहां लगा है।झटका मारने वाली बिजली कहां से आ रही है।
बहरहाल बीरभूम जिले के मुख्यालय सिउड़ी में पुलिस ने रविवार को ही बीर हनुमान जयंती के आयोजकों से कह दिया था कि वे उन्हें मंगलवार को किसी रैली और मीटिंग की इजाजत नहीं देंगे। इसके बाद आयोजकों ने पुलिस को भरोसा दिलाने की कोशिश की थी कि जुलूस में कोई भी हथियार लेकर नहीं आएगा, लेकिन पुलिस फैसले को बदलने को तैयार नहीं हुई। पुलिस की इजाजत के बिना ही भीड़ रैली निकालने पहुंची।
इस मामले पर मध्य प्रदेश के बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने एएनआई से कहा- मैं इससे सहमत नहीं हूं। ममता जी की तुष्टिकरण की नीति को लेकर नाराजगी हो सकती है, लेकिन हिंसा का समर्थन नहीं कर सकते।
दूसरी ओर, इसी बीच रांची में दो गुटों में झड़प के बाद माहौल बिगाड़ने की कोशिश की गयी। घटना मंगलवार दिन के करीब 1.30 बजे की है। मेन रोड में दोनों गुट के बीच मारपीट, हंगामा और पथराव के बाद पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा, आंसू गैस के गोले भी छोड़े। डेली मार्केट और इकरा मसजिद के पास पुलिस ने हंगामा कर रहे लोगों को कई बार खदेड़ा। इकरा मसजिद चौक के पास गली में पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। उपद्रवियों ने कई वाहनों में तोड़फोड़ की. होटल कैपिटल हिल के सामने खड़े चार वाहनों के शीशे तोड़ डाले। पुलिस पर भी पथराव किय। घटना में कई पुलिसकर्मियों को चोटें आयी।पुलिस के लाठीचार्ज में भी कई उपद्रवी घायल हो गये। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान मेन रोड में भगदड़ की स्थिति बनी रही। अलबर्ट एक्का चौक से लेकर ओवरब्रिज तक सारी दुकानें बंद हो गयीं। पुलिस ने आम लोगों को मेन रोड में प्रवेश करने से रोक दिया। सूचना मिलने के बाद डोरंडा, बहुबाजार रोड, ओल्ड हजारीबाग रोड और कडरू की भी सारी दुकानें बंद हो गयीं। स्थिति को सामान्य बनाने में पुलिस को करीब ढाई घंटे लगे। शाम के करीब चार बजे के बाद स्थिति सामान्य हुई. इसके बाद मेन रोड में ट्रैफिक खोला गया।
जाहिर है कि बंगाल में तलवार पर राजनीति गरमा गयी है।हिंदुित्व के नाम पर आम लोग हथियारबंद जत्थों में तब्दील हो रहे है।हालत यह है कि आसनसोल के मेयर व पांडेश्वर से तृणमूल विधायक जीतेंद्र तिवारी के खिलाफ रामनवमी के दिन तलवार के साथ शोभायात्रा निकालने को लेकर पांडेश्वर थाने में एफआइआर दर्ज की गयी है। पुलिस ने उनके खिलाफ जांच शुरू कर दी है।
रांची की ताजा वारदात से साफ जाहिर है कि अब किसी एक सूबा,किसी यूपी,गुजरात ,असम या बंगाल में मजहबी सियासत की आग भड़काने तक सीमित नहीं है यह नस्ली जनसंख्या शपाया अभियान का धर्मोन्मादी एजंडा,निशाने पर झारखंड बिहार,समूचा पूर्वोत्तर और बाकी देश है।
गौरतलब है कि योगेश का यह वीडियो वाइरल होने से पहले अदालत के बाहर समाधान की संभावना से इनकार करते हुए विहिप के अंतरराष्ट्रीय संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने मंगलवार को कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए संसद में एक कानून पारित किया जाना चाहिए। जैन ने कोलकाता में प्रेस क्लब में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा : सरकार पर हमें पूरा भरोसा है और हमें लगता है अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए जल्द ही एक कानून पारित किया जायेगा। अयोध्या में राम मंदिर बनाने के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का वादा हमारे निश्चय से कहीं कम नहीं है।
विहिप नेता का दावा है कि चूंकि योगी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद राम मंदिर निर्माण का वादा किया है। इसलिए मोदी और योगी की जोड़ी निश्चित रूप से अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करवायेगी। शीर्ष न्यायालय द्वारा दिये गये कोर्ट के बाहर समाधान करने के सुझाव की संभावना से इनकार करते हुए श्री जैन ने कहा : मुसलिम समुदाय से अन्य पक्ष चर्चा में और विमर्श में रुचि नहीं ले रहे हैं। इसलिए किसके साथ हम इस विषय पर चर्चा करें और समाधान करें, इस मुद्दे का समाधान निकालने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है, एक कानून पारित करना और अयोध्या में राम मंदिर बनाना।
गौरतलब है कि यूपी में योगी को आनंदमठ के संतान दल के सन्यासी का अवतार बताया जा रहा है।आनंदमठ को बंगाल में बंकिम चंद्र ने लिखा और हिंदुत्व की राजनीति भी बंगाल से शुरु हुआ है।इसलिए साफ जाहिर है कि कोलकाता में इस घोषणा का मकसद सुनियोजित किसी परिकल्पना को अंजाम देने का ही है और बाकी पूरा घटनाक्रम उसी क्रम में है।गौर करें,यह पूछे जाने पर कि राज्यसभा में बहुमत नहीं होने पर भाजपा नीत राजग सरकार कानून किस तरह पारित करा पायेगी, जैन ने कहा : ऐसे कई उदाहरण हैं, जब संसद में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक के जरिये विधेयक पारित हुए हैं। राम मंदिर के बाबत एक विधेयक भी संयुक्त बैठक के जरिये पारित कराया जा सकता है। जैन से जब पूछा गया कि क्या विहिप को केंद्र से इस विषय पर कोई आश्वासन मिला है, तो उन्होंने कहा : हम सब जानते हैं कि मोदीजी को आश्चर्यचकित करने में महारत हासिल है।इस मामले में भी आप एक आश्चर्य देख सकते हैं।