सोनी सोढ़ी का जला हुआ चेहरा ही हमारा राष्ट्र है अब और हमलावर है भारत माता का जयघोष!
कानून का राज ऐसा कि 81 साल की बेसहारा औरत को सुप्रीम कोर्ट से मौत की गुजारिश करनी पड़ रही है।
पलाश विश्वास
रायपुर से दिल्ली तक आक्रोश : सोनी सोरी दिल्ली के अपोलो अस्पताल में !
सोनी सोरी को 21 फ़रवरी की शाम रायपुर से दिल्ली लाया गया । फ़िलहाल इन्हें अपोलो अस्पताल के ICU में रखा गया है । डॉ आई पी सिंह के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम उनके इलाज में जुट गई है । प्राथमिक जाँच के अनुसार सोनी जी का लगभग पूरा चेहरा एसिड जैसे किसी केमिकल से जल कर काला पड़ गया है और पपड़ी के समान कुछ दिनों बाद ही निकल पायेगा और नयी त्वचा आएगी । अर्थात चेहरे की त्वचा लगभग जल सी गयी है । चेहरे पर वह कालिख नही बल्कि जलने की वजह से चेहरा काला और सूजन आ गई है .
रायपुर से दिल्ली तक आक्रोश : सोनी सोढ़ी दिल्ली के अपोलो अस्पताल में ! | संघर्ष संवाद
रायपुर से दिल्ली तक आक्रोश : सोनी सोढ़ी दिल्ली के अपोलो अस्पताल में ! सोमवार, फ़रवरी 22, 2016 छत्तीसगढ़ , सोनी सोढ़ी पर हमला Edit सोनी सोढ़ी पर राजकीय दमन के विरोध में प्रदर्शन…
देशभर में आदिवासी इलाकों में जो भी समझदार पढ़ा लिखा इंसान है,उससे निवेदन है कि उस इलाके की सही कहानी हमें तुरंत भेजें ताकि जिन आदिवासियों की सुनवाी कहीं नहीं होती,अविराम सलवाजुड़ुम के शिकार उस आदिवासी भूगोल की चीखें ङम अपनी आखिरी सांसें गिनते हुए दर्ज करा सकें।
हिमांशु कुमार जी ने जानकारी दी है कि सोनी सोरी को दिल्ली के अपोलो हास्पिटल के आई सी यू में भर्ती किया गया है।
सोनी सोरी के चेहरे की त्वचा जल गयी है ।
डाक्टरों नें जब चेहरे पर लगा काला रसायन निकालने की कोशिश करी तो खून निकल आया ।
डाक्टरों का कहना है कि त्वचा जल चुकी है ।
इस जली हुई त्वचा के पपड़ी बन कर निकलने के बाद ही पता चल पायेगा कि जलने के घाव कितने गहरे हैं ।
सोनी सोरी की ऑंखें अभी भी नहीं खुल पा रही हैं ।
नागरिक और मानवाधिकार के बिना राष्ट्र का चेहरा क्या होता है?
जल जंगल जमीन से बेदखली करता राष्ट्र का चेहरा क्या होता है?
जाति के नाम पर अविराम गृहयुद्ध और धर्म के नाम पर देश का विखंडन का शिकार रााष्ट्र का चेहरा क्या होता है?
जनता के प्रतिनिधित्व के बिना राष्ट्र का चेहरा क्या होता है?
इतिहास और भूगोल के विरुद्ध,मुनष्यता और प्रकृति के विरुद्ध खड़े राष्ट्र का चेहरा क्या होता है?
सलवा जुड़ुम के देश व्यापी विस्तार के बाद राष्ट्र का चेहरा क्या होता है?
मुक्त बाजार में शिकारी कुत्तों के हवाले बेगुनाहों के नरसंहार के बाद राष्ट्र का चेहरा क्या होता है?
परमाणु विध्वंस की दहलीज पर खड़ा कर दिये जाने के बाद राष्ट्र का चेहरा क्या होता है?
सेना और सैन्य शासन के महिमामंडन से देशभक्ति की छतरी में छुपे हमलावर राष्ट्र का चेहरा क्या होता है?
सुप्रीम कोर्ट से अपनी मौत की गुजारिश करती 81 साल की वृद्धा की खामोश चीख को नजर्ंदाज करने वाले राष्ट्र का चेहरा क्या होता है?
अबाध पूंजी के शिकंजे में फंसे हुए मुक्तबादजारी धर्मोन्मादी राष्ट्र का चेहरा क्या होता है?
जनसुनवाई के बिना अंधे कानून के दम पर अपने मासूम बच्चों को देशद्रोही करार देने वाले राष्ट्र का चेहरा क्या होता है?
खेतों खलिहानों को खाक में तब्दील कर देने वाले राष्ट्र का चेहरा क्या होता है?
हिमालय का एक एक एक इंच पर कारपोरेट महोत्सव के मध्य राष्ट्र का चेहरा क्या होता है?
जनता को जनता केखिलाफ खड़ा कर देने वाली मजहबी सियासत के शिकंजे में राष्ट्र का चेहरा क्या होता है?
पेइड न्यूज और सुपारी किलरों की मिथ्या में दमनतंत्र में छुपा राष्ट्र का निरंकुश चेहरा क्या होता है?
विश्वविद्यालयों की नाकेबंदी करने वाले राष्ट्र का चाहरा क्या होता है?
किसानो,मजदूरों,महेनतकशों के हक हकूक छीनने वाले राष्ट्र का चेहरा क्या होता है?
न्याय मांग रहे फरियादी छात्रों को देशद्रोही बनाने वाले राष्ट्र का चाहरा क्या होता है?
उदाहरण के लिए ये सवाल पेश है और बाकी पाठ औपाठ्यक्रम अनंत हैं।जो पूरी तरह हमारी समझ से बाहर है।
जिसे जो समझ में आ रहा है,वह अपने तरीके से सवाल जरुर पेश करें और जवाब भी दें।
सोनी सोरी के चेहरे को देखें गोर से तो राष्ट्र का असल मानचित्र समझ में आयेगा।
संदर्भ और प्रसंग सहित वंदेमातरम का स्थाई भाव और भाव विस्तार खुलेगा।
हिमांशु जी ने वारदात का ब्यौरा इत तरह दिया हैः
सोनी सोरी जगदलपुर शालिनी और ईशा से मिलने गयी थी .
ईशा और शालिनी मानवाधिकार वकील हैं .
ईशा और शालिनी को पुलिस के दबाव की कारण जगदलपुर छोडना पड़ रहा है
ये दोनों महिला वकील जगदलपुर छोड़ कर जा रही थीं
इसलिए सोनी सोरी, ईशा और शालिनी से मिलने जगदलपुर आयी थी
रात के नौ बज चुके थे .
अभी ईशा और शालिनी की बस का समय नहीं हुआ था .
सोनी नें कहा कि काफी रात हो गयी है
अब मैं वापिस अपने घर गीदम के लिए निकलती हूँ
सोनी सोरी मोटर साइकल पर जगदलपुर से लगभग सवा नौ बजे गीदम के लिए निकली
सोनी सोरी की मोटर साईकिल रिंकी नाम की एक लड़की चला रही थी
जगदलपुर से गीदम की दूरी 85 किलोमीटर है
गीदम से लगभग बीस किलोमीटर पहले बास्तानार घाटी शुरू होते ही
एक मोटर साईकिल पर तीन लड़के पीछे से आये
एक लड़के नें कहा सोनी मैडम ज़रा मोटर साईकिल रोकिये आपसे कुछ ज़रूरी काम है
सोनी नें गाड़ी नहीं रुकवाई
मोटरसाइकिल सवार हमलावर लड़कों नें अपनी मोटर साईकल सोनी की मोटर साईकिल के आगे ले जाकर रोक दी
सोनी की मोटर साईकिल को रुकना पड़ा .
उस मोटर साईकिल से तीन लडके फटाफट उतरे और उनमें से एक नें सोनी की मोटर साईकिल चलाने वाली लड़की रिंकी को पकड़ कर खींच कर दूर ले गया
और चाकू निकाल कर बोला कि खबरदार जो यहाँ से हिली तो चाकू से पेट फाड़ दूंगा
बचे हुए दो लड़कों में से एक लड़के नें सोनी की दोनों बाजू पीछे खीच कर कस कर पकड़ लीं
तीसरे लड़के नें सोनी से कहा कि तुम मारडूम वाली घटना को क्यों उठा रही हो
उस लड़के नें आगे कहा कि आज के बाद आई जी साहब के बारे में बोलना बंद कर दो
आज तो हम सिर्फ तुम्हारे मुंह पर काला रंग लगा रहे हैं
इसके बाद अगर तुम नहीं मानी तो तुम्हारी बेटी के साथ वो अंजाम करेंगे कि तुम खुद ही किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगी
इसके बाद उस लड़के नें सोनी के चेहरे पर एक काला पदार्थ पोत दिया
इसके बाद वो तीनों हमलावर अपनी गाड़ी स्टार्ट करके जगदलपुर की तरफ भाग गए
सोनी सोरी मोटर साईकिल से गीदम पहुँची
तब तक उनका चेहरा बुरी तरह जलने लगा था
लिंगा कोडोपी और सोनी के परिवारजन सोनी सोरी को लेकर गीदम के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में पहुंचे
वहाँ मौजूद डाक्टर नें सोनी के चेहरे पर कोई दवा लगाईं
लेकिन सोनी को चेहरे और आँखों में बहुत तेज जलन हो रही थी
इसके बाद सोनी को जगदलपुर मेडिकल कालेज के लिए रेफर कर दिया गया
करीब एक बजे सोनी सोरी जगदलपुर मेडिकल अस्पताल पहुँची
अभी सोनी के चेहरे की जलन कम है
लेकिन सोनी की ऑंखें नहीं खुल रही हैं
↔ मैं 81 वर्ष की हूँ - 18-1-2016 से दिल्ली में होटल में रह रही हूँ ↔ मैं इन्साफ के लिए सुप्रीम कोर्ट में आई हूँ - लेकिन सुप्रीम कोर्ट मुझे इन्साफ नहीं दे रही है ?! ↔ दिल्ली पुलिस भी 1 महीने से मेरी एफ आइ आर नहीं कर रही है ↔ ऐसे में अगर मेरी मौत हो जाती है - तो मेरी मौत कुदरती मौत नहीं होगी - क्यों की :- ↔↔↔ ↔ ↔ ↔ ↔ ↔ ↔ एक 81 वर्ष की गरीब विधवा आखिर कितना अत्याचार सह सकती है ? - कितना मानसिक तनाव झेल सकती है ?! ↔ ↔ ↔ ↔ ↔ ↔ ↔ ↔ ↔ ↔ सबूत भी है - मुझे दिल्ली मे राम मनोहर लोहीया अस्पताल में भी भरती किया गया था ! ↔ ↔ ↔ 6 साल से केस लड़ रही हूँ - पैसा भी खत्म हो गया है - कोई वकील भी नहीं मेरे पास ↔ ↔ ↔ साफ साफ दिखाई दे रहा है - आप सब मुझे मारना चाहते हो - तो मुझे इज्जत से - दया की मौत दे दो ना !!! मोहिनी कामवानी
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↔ ↔ ↔ मेरी मौत के जिम्मेदार ये लोग होंगे :-
↔ ↔ ↔ ↔ ↔ ↔ ↔ ↔ ↔
मा• राष्ट्रपति,
मुख्य न्यायाधीश,
सुप्रीम कोर्ट,
दिल्ली पुलिस,
सुप्रीम कोर्ट की वकील आशा गोपालन नायर + 4 पुलिस वाले
सुप्रीम कोर्ट की लीगल एड कमिटी
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↔ मैं 81 वर्ष की हूँ - 18-1-2016 से दिल्ली में होटल में रह रही हूँ
↔ मैं इन्साफ के लिए सुप्रीम कोर्ट में आई हूँ - लेकिन सुप्रीम कोर्ट मुझे इन्साफ नहीं दे रही है ?!
↔ दिल्ली पुलिस भी 1 महीने से मेरी एफ आइ आर नहीं कर रही है
↔ ऐसे में अगर मेरी मौत हो जाती है - तो मेरी मौत कुदरती मौत नहीं होगी - क्यों की :-
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एक 81 वर्ष की गरीब विधवा आखिर कितना अत्याचार सह सकती है ? - कितना मानसिक तनाव झेल सकती है ?!
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↔ सबूत भी है - मुझे दिल्ली मे राम मनोहर लोहीया अस्पताल में भी भरती किया गया था !
↔ ↔ ↔ 6 साल से केस लड़ रही हूँ
- पैसा भी खत्म हो गया है
- कोई वकील भी नहीं मेरे पास
↔ ↔ ↔ साफ साफ दिखाई दे रहा है - आप सब मुझे मारना चाहते हो - तो मुझे इज्जत से - दया की मौत दे दो ना !!!
मोहिनी कामवानी
अब यह बहुत जरुरी है कि यह मांग उटायी जायें कि स्वायत्तता सत्ता के हवाले करके अपने बच्चों के खिलाफ साजिश में शामिल जेएनयू के वीसी इस्तीफा दें!
कन्हैया मामले में केसरिया क्रांति जेएनयू के बहाने रोहित वेमुला और देश भर में दलित आदिवासी ,ओबीसी,अल्पसंख्यक बच्चों के कत्लेआम के खिलाफ देशभर में जनता की गोलबंदी रोकने के लिए मनुस्मृति शासन जारी रखने का इंतजाम है,जाहिर सी बात है।
जाहिर सी बात है कि धर्मोन्मादी हिंदुत्व के लिए असहिष्णुता और उन्माद दोनों अनिवार्य है।
जाहिर सी बात है कि देशद्रोही साबित करने के लिए फर्जी देश प्रेम का अभियान और देशद्रोह का महाभियोग जरुरी है।
जाहिर सी बात है कि हर मुसलमान को गद्दार साबित करके ही हिंदुओं को भड़काया जा सकता है और उनका वोट दखल के लिए यह बेहद जरुरी भी है वरना बिहार की पुनरावृत्ति यूपी बंगाल उत्तराखंड में भोगी और असम में भी।
यह सियासत है।
शायद यह हुक्मरान का मजहब भी हो।
इस सियासत का गुलाम कोई वीसी विश्वविद्यालय को धू धू जलता हुआ देख रहा है और विश्वविद्यालय की स्वायत्तता हुक्मरान के हवाले कर रहा है और अपने ही बच्चों को बलि चढ़ा रहा है,इससे ज्यादा शर्मनाक कुछ भी नहीं है।
विश्वविद्यालय को दंडकारण्य बनाकर सलवा जुड़ुम चला रहा है यह वीसी।यह सत्ता के मजहब से बड़ा विश्वासघात है।देशद्रोह है या नहीं,ऐसा फतवा तो संघी ही दे सकते हैं।
कश्मीर के बाद,मणिपुर के बाद फौजी हुकूमत के दायरे में हैं सारे विश्वविद्यालय और वीसी फौजी सिपाहसालार।
मनुस्मृति राजनीति में है और उसके हित और उसके पक्ष साफ है।
कोई वीसी अगर विश्वविद्यालय की स्वाहा को ओ3म स्वाहा कर दें और अपने ही बच्चों को देशद्रोही का तमगा दे दें,उसका अपराध इतिहास माफ नहीं करेगा।छात्रों को मनुस्मृति के साथ साथ उस अपराधी वीसी से भी इस्तीफा मांगनी चाहिए।
अब दिल्ली और बाकी देश में भी जेएनयू के वीसी को कटघरे में खड़ा करना चाहिए ताकि इस देश के विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता बची रहे।
स्वयत्तता सत्ता के हवाले करके अपने बच्चों के खिलाफ साजिश में शामिल जेएनयू के वीसी इस्तीफा दें!
कोलकाता में यादवपुर विश्वविद्यालय ने दिखा दिया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए कोई वीसी,कोई शित्क्षक,कोई छात्र या छात्रा का पक्ष क्या होना चाहिए!
यादवपुर विश्वविद्यालय के वीसी ने केंद्र सरकार के जवाब तलब के बाद रीढ़ सीधी सही सलामत करके यादवपुर विश्वविद्यालय की स्वायत्तता के इतिहास का हवाला दिया है और कहा है कि छात्र अगर दोषी हैं छात्र तो सजा विश्वविद्यालय देगा।
समस्या का समाधान विश्वविद्यालय करेगा।
पुलिस या सरकार का यह सरदर्द नहीं है।
यादवपुर विश्वविद्यालय के वीसी ने केंद्र सरकार के जवाब तलब के बाद रीढ़ सीधी सही सलामत करके यादवपुर विश्वविद्यालय की स्वायत्तता के इतिहास का हवाला देकर कहा है कि छात्रों के खिलाफ कोई एफआईआर नहीं होगा और न परिसर में पुलिस को घुसने दिया जायेगा।
जेएनयू में सलवाजुड़ुम के जिम्मेदार वीसी तुरंत इस्तीफा दें।
सारे छात्र उनके साथ हैं और सारे नागरिक उनके साथ हैं।
धर्मोन्मादी कोई नागरिक होता नहीं है।
तृणा डे को सरकार अब भी जिंदा जलाने की धमकियां जारी और कबीर सुमन के गाने पर रोक,बंगाल अंगड़ाई ले रहा है!
तृणा डे सरकार ने लालाबाजार पुलिस मुख्यालय जाकर फिर शिकायत दर्ज करवायी है और आरोपों का जवाब सिलसिलेवार दिया है।खबरें देख लें।
नरसंहार संस्कृति के सिपाहसालारों,रोक सको तो रोक लो जनता का अभ्युत्थान फासिज्म के राजकाज के खिलाफ!
हम किसी मजहबी या सियासती हुकूमत के गुलाम कभी नहीं रहे हैं।यह हमारी आजादी की असल विरासत है।
इंसानियत की कोई सरहद होती नहीं है और हमारे तमाम पुरखे इंसानियत के सिपाही थे।
अंध भक्तों को सबसे पहले हिंदू धर्म का इतिहास समझना चाहिए और रामायण महाभारत पुराणों और स्मृतियों के अलावा वेद वेदान्त उपनिषदों का अध्ययन करना चाहिए।
इतना धीरज नहीं है है तो संतन की वाणी पर गौर करना चाहिए जो सहजिया पंथ है,भक्ति आंदोलन है और हमारी आजादी की विरासत भी है।ऐसा वे कर लें तो इस कुरुक्षेत्र के तमाम चक्रव्यूह में फंसे आम आदमी और आम औरत की जान बच जायेगी औ मुल्क को मलबे की ढेर में तब्दील करने वालों की मंशा पर पानी फिर जायेगा।
हम किसी मजहबी या सियासती हुकूमत के गुलाम कभी नहीं रहे हैं।यह हमारी आजादी की असल विरासत है।इंसानियत की कोई सरहद होती नहीं है और हमारे तमाम पुरखे इंसानियत के सिपाही थे।
मुक्त बाजार को कोई राष्ट्र नहीं होता।
न कोई राष्ट्र मुक्त बाजार होता है।
नागरिक कोई रोबोट नहीं होता नियंत्रित।
स्वतंत्र नागरिक एटम बम होता है।
जो गांधी थे।अंबेडकर थे और नेताजी भी थे।
गंगा उलटी भी बहती है और पलटकर मार करती है जैसे राम है तो राम नाम सत्य भी है।
राम के नाम जो हो सो हो राम नाम सत्य है सत्य बोलो गत्य है,यही नियति है।
कोई भेड़िया बच्चा उठा ले जाये तो शहरी जनता की तरह गांव देहात के लोग एफआईआर दर्ज कराने थाने नहीं दौड़ते और अच्छी तरह वे जानते हैं कि भेडियेय से निपटा कइसे जाई।भेड़ और भेड़िये का फर्क भी वे जाणै हैं।शहर के लोग बिल्ली को शेर समझत हैं।
आस्था से खेलो मत,धार्मिक लोग सो रहे हैं और उनका धर्म जाग गया तो सशरीर स्वार्गारोहण से वंचित होगे झूठो के जुधिष्ठिर,जिनने देश और द्रोपदी दुनों जुए में बेच दियो।
सत्तर के दशक में ही आपातकाल के दमन के शिकार हुए लोग अब इतने सत्ता अंध हो गये हैं कि लोकतंत्र को दमनतंत्र में तब्दील करने लगे हैं क्योंकि उन्हें राष्ट्र नहीं चाहिए,मुक्त बाजार चाहिए।
जनता नहीं चाहिए।विदेशी पूंजी चाहिए।
इससे जियादा बेशर्म रष्ट्रद्रोह कोई दूसरा नहीं है।