मैं लाता हूँ अपनी गीता तुम अपना क़ुरान निकालो दोनों को आग लगाकर जलालो उसपर एक पतीला चावल का चढ़ालो देख लेना तुम्हारे चावल पकने से पहले ही आग बुझ जायेगी लेकिन यह न समझो इनमें ताक़त नहीं रददी के यहि पुलिंदे पूरे गाँव में आग लगा सकते है पूरे शहर को जला सकते है पूरे मुल्क में दंगा और फसाद करा सकते है लेकिन घर का चूल्हा नहीं जला सकते चावल नहीं पका सकते क्योंकि इनका ईजाद भूख मिटाने के लिए नहीं बल्कि घरों को फूंकने के लिए ही हुआ है रद्दी के यही पुलिंदे गरीब का पेट नहीं भर सकते लेकिन दंगाइयों को नेता जरूर बना देते हैं रद्दी के यही पुलिंदे एक वक्त का चूल्हा नहीं जला सकते लेकिन अमीरों को सत्ता तक जरूर पहुंचा सकते हैं एक गरीब के लिए गीता और कुरान बंदरिया के मरे हुए बच्चे के समान है जो बंदरिया उसे सीने से चिपकाये रहती है नेताओ और मठाधीसों के लिए मुल्लाओं और न्यायाधीशों के लिए रद्दी के यही पुलिंदे जीवंत होते है उन्हें ऊर्जा देते हैं अमन और शांति के लिए परिवर्तन और क्रांति के लिए रद्दी के इन पुलिंदों को आग में झोंकना ही होगा आग में झोंकना ही होगा प्रेम