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मोदी के खुल्ला हमलों के बावजूद दीदी क्यों खामोश हैं?खामोशी की वजह क्या हैं? मुख्यचुनाव आयुक्त कल तक हिसाब दे रहे थे कि पहले चरण में मतदान 81 फीसद हुआ और 48 घंटे में मतदान फीसद 84 फीसद हो गया है।इस पर सवाल सीधे यही उठ रहा है कि ये वोट बूथों के हैं या भूतों के।विशेषज्ञ आंकड़ों की इस बाजीगरी को हैरतअंगेज मान रहे हैं।वैसे तीन फीसद ज्यादा वोट चुनाव नतीजे बदलने के लिए काफी होने चाहिेए। एक्सकैलिबर स्टीवेस विश्वास

Next: बंगाल हारे तो दांव पर देश,सो भूतों का नाच दिनदहाड़े जंगल महल में सौ फीसद मतदान का रिकार्ड चुनावों में आरोप लगते रहे हैं लेकिन केंद्र में जब तक संग बिरादरी है,तब तक दीदी सुरक्षित है और बंगाल के लिहाज से भाजपा काहौवा खड़ा करना भी मुसलमान वोटों की असुरक्षा को जनादेश में तब्दील करने का कायदा कानून है।इसलिए दीदी संघ परिवार को खुल्ला मैदान छोड़कर वाम लोकतांत्रिक गठबंधन के खिलाप खुद को लामबंद करके संघपरिवार के एजंडे को ही आगे बढ़ाने का काम कर रही है। दीदी ना हारे,इसके लिए केंद्रीय वाहिनी को तृणूल के भूतों की फौज का छाता बना दिया गया है।जिस जंगल महल के पहले चरण के मतदान में माकपा प्रत्याशी की पिटाई हो गयी और मीडिया कर्मी से लेकर भाजपा और माकपा के वोटर तक धुन डाले गये वहां शत प्रतिशत वोट का रिकार्ड कायम हुआ है। एक्सेकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप
Previous: हवा खराब है तो वोटरों से माफी मांगने लगी दीदी! हवा क्रमशः वाम कांग्रेस गठबंधन की मजबूत होते देखकर,रोज रोज के मीडिया धमाकों और मुसलिम वोट बैंक के टूटने से दीदी की भाषा बदल गयी है। बंगाल में हिंदुत्व एजंडा के हक में कोई खड़ा नहीं है और न ही फिजा में दंगाई आगजनी है,इसकी खास वजह है बाकी देश के मीडिया के विपरीत हिंदुत्व को बंगाल में मीडिया का कोई समर्थन नहीं है। जाहिर है कि जनमत का आइना भले मीडिया को आप न कहे,न जनसुनवाई का कोई मच आप इसे माने,इस मुक्तबाजार में मीडियाबहुत बड़ी ताकत है और वह चाहे तो निरंकुश सत्ता की भी चूलें हिला कर रख दें। एकसकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप
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मोदी के खुल्ला हमलों के बावजूद दीदी क्यों खामोश हैं?खामोशी की वजह क्या हैं?


मुख्यचुनाव आयुक्त कल तक हिसाब दे रहे थे कि पहले चरण में मतदान 81 फीसद हुआ और 48 घंटे में  मतदान फीसद 84 फीसद हो गया है।इस पर सवाल सीधे यही उठ रहा है कि ये वोट बूथों के हैं या भूतों के।विशेषज्ञ आंकड़ों की इस बाजीगरी को हैरतअंगेज मान रहे हैं।वैसे तीन फीसद ज्यादा वोट चुनाव नतीजे बदलने के लिए काफी होने चाहिेए।

एक्सकैलिबर स्टीवेस विश्वास

उत्तराखंड जीतने के लिए बेहद खास है।बंगाल का चुनाव संघ परिवार के लिए आगे पंजाब,यूपी और उत्तराखंड जीतने के लिए संघ परिवार हर कीमत पर वाम कांग्रेस गठबंधन को रोकनेके लिए काम कर रहा है और दीदी की भूमिका इसमें खास है।


मोदी के खुल्ला हमलों के बावजूद दीदी क्यों खामोश हैं,खामोशी की वजह क्या हैं,यह अबूझ पहेली है।


जाहिर है कि पहले चरण के मतदान के बाद केसरिया फौजों की कमान संभाले सर्वोच्च सिपाहसालार मैदाने जंग में कूद पड़े हैं और संघ परिवार के तमाम रथी महारथी बंगाल में वाम लोकतांत्रिक गठबंधन को रोकने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे।


विकास के मुद्दे को लेकर ममता बनर्जी ने जो अखबारी तैयारी की थी,भ्रष्टाचार के खुलासे के मीडिया के चौबीसों घंटे की मुहिम के चलते उसका बंटाधार हो गया है।


इसी बीच पहले चरण के मतदान के बाद वाम,कांग्रेस और भाजपा तीनों पक्ष की शिकायतों के बाद केंद्रीय वीहिनी को मतदान में वोटों की पहरेदारी में लगाने के लिए चुनाव आयोग के जो फरमन जारी हुए हैं,उसके बाद सत्ता दल के भूत बिरादरी का नया कारनामे का खुलासा हुआ है।


मुख्यचुनाव आयुक्त कल तक हिसाब दे रहे थे कि पहले चरण में मतदान 81 फीसद हुआ और 48 घंटे में  मतदान फीसद 84 फीसद हो गया है।इस पर सवाल सीधे यही उठ रहा है कि ये वोट बूथों के हैं या भूतों के।विशेषज्ञ आंकड़ों की इस बाजीगरी को हैरत्ंगेज मान रहे हैं।वैसे तीन फीसद ज्यादा वोट चुनाव नतीजे बदलने के लिए काफी होने चाहिेए।


इससे पहले ऐसा किसी चुनाव में हुआ हो या नहीं मालूम लेकिन ईवीएम मशीन के जमाने में मतदान के आंकड़ों में यह संशोधन बताता है कि चुनाव परिणाम आने तक बहुत कुछ बदल सकता है यानी जनादेश तक बदल सकता है।


सबसे मजेदार बात तो यह है कि बंगाल में पहली चुनाव सभा में ही मोदी महाशय ने मां माटी मानुष सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेर लिया और शारदा चिटफंड से लेकर बड़ाबाजार के फ्लाई ओवर ,नारद स्टिंग में उजागर घूसखोरी से लेकर सिंडिकेट मार्फत सत्तादल की अंधाधुंध काली कमाई,हर मुद्दे पर उन्होंने सिलसिलेवार ममता बनर्जी पर हमले किये।


इसके उलट  ममता बनर्जी ने न मोदी पर और न भाजपा पर पलटवार किये।ऐसा ईंट का जवाब पत्थर से देने वाली दीदी के चरित्र के विपरीत है तो दीदी के वाम कांग्रेस गठबंधन के खिलाफ हमले लगातार तेज होते जा रहे हैं और उनकी एकमात्र फिक्र यह है कि इस गठबंधन के खिलाफ जीत कैसे हासिल की जाये।


देखकर ऐसा लगता है कि भाजपा या तो चुनाव में है ही नहीं,न केंद्र और राज्य के नेता उन्हें घेर रहे हैं या फिर भाजपा से दीदी का गुपचुप तकोई समझौता है जिसके तहत वे बोल ही नहीं रही हैं।


दीदी के चुनावक्षेत्र भवानीपुर में भाजपा के तमाम लाउडस्पीकर बंद हैं जहां कल तक भाजपा को बढ़त मिली हुई थी।जबकि वहां भाजपा ने नेताजी फाइलों के जरिये नेताजी की विरासत दखल करने के फिराक में नेताजी परिवार के चंद्र कुमार बोस को उम्मीदवार बनाया है,जो अबतक भूमिगत ही हैं।


बल्कि मोदी ने मदरीहाट की चुनाव सभा में सीधे आरोप लगाया कि कोलकाता के केंद्र स्थल में हुए फ्लाईओवर हादसे में पीड़ितों के बचाव व राहतअभियान पर ध्यान देने के बजाय दीदी ने हादसे की जिम्मेदारी वामदलों पर चालने की कोशिश की है।


 गौरतलब है कि कोलकाता में मतदान से पहले मलबा हटाये जाने की कोई संभावना नहीं है।


गौरतलब है कि उस इलाके में जोड़ासांको की विधायक स्मिता बख्शी के रिश्तेदार फंसे हुए हैं और वहां भाजपा का पूर्व अध्यक्ष राहुल सिन्हा मैदान में हैं।वहां तीन तीन वार्डों में भाजपा के काउंसिलर भी हैं।


इसी सिलसिले में यह भी बता दें कि मोदी ने जो कहा नहीं है,वह यह है कि वाम कार्यकर्ताओं को हादसे के वक्त बचाव व राहत के बहाने मौके पर पहुंचने ही नहीं दिया गया और उनकी तरफ से जो रक्तदान किया गया,उसे घायलों की रगों में पहुंचने ही नहीं दिया गया।यह अमानवीय कृत्य भी बंगाल में बड़ा मुद्दा है।

सिंडिकेट की चर्चा करते हुए उत्तर बंगाल में चंदन तस्करी के मामले में भी मोदी ने दीदी को घेरा और दीदी खामोश हैं।


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