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राष्ट्र को सैन्यतंत्र को बदलने की इस केसरिया सुनामी के मुकाबले मोर्चाबंदी के बजाय हम भूत की लंगोट के पीछे पड़े हैं। पलाश विश्वास

Next: Student was lynched NAKED and the mob, comprising mostly of suspected Trinamul activists, dragged Kaushik Purkait towards a club and assaulted him and released him only after his relatives paid Rs 60,000 for the stolen buffalo. "My son would have been alive if the police had acted in time. While my son lay bleeding, some of the attackers demanded Rs 1 lakh from us," said the father. Horrible!Rajsthan scenarion shifted in Bengal as Irate mob lynches student to death over suspicion of stealing cattle!The Panchayat Politics played the key role! The Muslim Vote Bank remains intact and the RSS camp wits Aggressive Hindutva card seems to be successful to divide the voters against the ruling party and hereby, RSS defended DIDI to stop Left Congress alignment in self defence. It is the political scenario which has become the alchemist of unprecedented violence continuity in Bengal frame by frame. Excalibur Stevens Biswas Hastakshep
Previous: Indra Mani Upadhyay ने लिखा है-- कल पूरा तिनसुकिया बन्द था बाजार दुकान सड़कें.. अजीब सा सन्नाटा, किसलिए.. इस लड़की के लिए जिसका नाम चंपा क्षेत्री बताया जा रहा है। 20 वर्ष की यह लड़की 29 apr को अचानक गायब हुई फिर जब वह मार्घेरिटा पुलिस द्वारा 3 मई को लामा गाँव के पास दिहिंग नदी में मिली (लाश) तो किस हालत में थी.. उफ़ (फोटो में खुद देखें)। अपहरण बलात्कार फिर नृशंश हत्या.....। कल AASGU के आह्वान पर 12 घंटे का बंद रखा गया। पुलिस ने लीडो क्षेत्र के 'बिश्वजीत क्षेत्री'और 'मोइनुल अली'नामक दो युवकों को इस आरोप में चिन्हित/गिरफ्तार किया है। फिलहाल यह घटना भी इसी देश की है (गर आप इसे अपना मानते हों, क्योंकि आपके लिए दिल्ली ही देश है) पर डिग्री के फेर में उलझे देश को क्या किसी राष्ट्रीय चैनल या अख़बार में यह खबर नजर आई??? आएगी क्यों वैसे भी केरल से असम तक यह बातें राष्ट्रीय चरित्र बन चुकी हैं, इसलिए अब ये न्यूज़ का, प्राइम टाइम का टॉपिक नही रहीं। तो प्यारे देशवासियों, मीडिया सुपरमैन्स, संसद में बैठे चौकीदारों... आप डिग्री-डिग्री खेलिए, हम चम्पाओं, जीशाओं की लड़ाई लड़ लेंगे, खुद ही उनकी आवाज़ बनेंगे...
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राष्ट्र को सैन्यतंत्र को बदलने की इस केसरिया सुनामी के मुकाबले मोर्चाबंदी के बजाय हम भूत की लंगोट के पीछे पड़े हैं। 
पलाश विश्वास
अरविंद केजरीवाल ने क्या भूत की लंगोट खींच ली कि हमारे सारे भाई बंधु उस लंगोट को खींचकर देश का नक्शा बना रहे हैं।

अरविंद को पंजाब जीतना है तो हर कहीं हारते रहने के बाद संघ परिवार को यूपी जीतना है।
सवाल यह नहीं है कि डिग्री असल है या फर्जी।संघ परिवार में बड़े बड़े विद्वान हैं और वे अपनी सारी विद्वता मनुस्मृति शासन के मुक्तबाजार को अश्वमेधी नरसंहार अभियान में बदलने में खर्च कर रहे हैं ।पढ़े लिखे हों या अपढ़,डिग्री असल हो या नकल,सत्तावर्ग के तमामो सिपाहसालार भारत देश और भारतीयजनता के खिलाफ महायुद्ध की घोषणा कर चुके हैं।अपढ़ है तो उनके लिए कालेज यूनिवर्सिटी को खत्म करने के अलावा रास्ता कोई बचा नहीं है।
जिनकी डिग्रियां विवाद में हैं ,गौर करें ,उनकी अभूतपूर्व अद्वितीय शास्त्रीय युगलबंदी जेएनयू और यादवपुर ही नहीं, देश के तमाम तमाम विश्विद्याालयों और शैक्षणिक संस्थानों को बंद कराने पर तुली है।ताकि न बचेगा बांस और नबजेगी बांसुरी।संवाद करने के लिए शिक्षा जरुरी है तो शिक्षा को ही खत्म कर दो।संवाद की भाषा जिन्हें नहीं आती वे ही मन की बातों से देश दुनिया की तमाम समस्याएं सुलझा लेते हैं और उन्हें अर्थव्यवस्था शेयर बाजार की उछाल नजर आती है तो राजनीति असहिष्णुता का चरमोत्कर्ष और राजकाज यानि की दमन,उत्पीड़न,सैन्यतंत्र।राष्ट्र को सैन्यतंत्र को बदलने की इस केसरिया सुनामी के मुकाबले मोर्चाबंदी के बजाय हम भूत की लंगोट के पीछे पड़े हैं। 
भूत की लंगोट खींचने के बजाये ,हम दूसरे तमाम मुद्दों पर जरुरी संवाद कर लें और हो सकें तो एस नरसंहारी समय का समाना करे ं एक साथ।

जिन्होंने आशाराम बापू को पाठ्यक्रम में शामिल किया था उन्होंने उन नेहरू को पाठ्यक्रम से बाहर कर दिया है जिन्होंने लालकिले पर आज़ाद भारत का तिरंगा फहराया था. गांधी की हत्या क्यों और किसने की ,इस जानकारी को भी उन्होंने पाठ्यक्रम से छिपा लिया है. उन्होंने अकबर से महानता का ख़िताब छीनकर महाराणा प्रताप को महानता से विभूषित किया है. उन्होंने गांधी के समकक्ष दीनदयाल उपाध्याय को बिठा दिया है. उन्होंने बाबा साहब आम्बेडकर की उन बाईस प्रतिज्ञाओं को पाठ्यक्रम से बाहर कर दिया है जो उन्होंने बौद्धधर्म ग्रहण करते हुए ली थी. उन्होंने 'मनुवाद सेआजादी', 'सामंतवाद सेआजादी' का नारा लगाने वालों को देशद्रोही घोषित कर दिया है. उन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि रोहित वेमुला दलित नही था . और वे बहुत कुछ लगातार कह\कर रहे हैं . वे कह रहे हैं कि वे देश का नया इतिहास लिख रहे हैं. काश उन्हें पता होता कि वे क्या कर रहे हैं! - वीरेन्द्र यादव Virendra Yadav

Pankaj Besra Gond संघी विचारधारा की सरकार देश को गंवार बनाए रखना चाहती है। हमारे शिल्पी और वैज्ञानिक सोच को तहस-नहस करना चाहती है। शिक्षा पर अंधविश्वास और मिथक को थोपना चाहती है। हमारे दिमाग को बीमार बनाने की तैयारी कर रही है। आप किस तरह से इसका सामना करेंगे, क्योंकि परीक्षा के प्रश्न भी मनुवाद से प्रेरित होंगे। गांवों में मिथक फल-फूल रहा है। शहर भी अब भयंकर चपेट में हैं। अच्छा होगा, अगर पूरे देशभर में इसका विरोध हो।

Himanshu Kumar
एक बार छत्तीसगढ़ पुलिस नें एक बयान जारी किया कि हिमांशु कुमार नक्सली नेता है ၊ मीडिया नें मुझसे प्रतिक्रया मांगी , मैनें कहा पुलिस का कोई आधिकारी इस बयान पर दस्तखत कर दे फिर हम देख लेंगे ၊ मोदी जी भी अपनी डिग्री पर खुद ही दस्तखत कर के उसे अटेस्ट कर दें ၊ उसके बाद का काम हमारा ၊

तीन हज़ार साल से जिन्होंने इस भूभाग के मूल निवासियों को दानव कह कर उन्हें मारा , उन्हें दास बना कर उन्हें हीन काम करने पर मजबूर किया, उन्हें शूद्र कहा और उनकी ज़मीने छीन ली . यहाँ के अस्सी प्रतिशत शूद्रों को बेज़मीन बना दिया .

वही लोग फिर हिंदुत्व के रथ पर सवार होकर ज़मीने हथियाने निकले हैं .

पिछली बार इन्होने इसे धर्म युद्ध कहा था इस बार ये इसे देश रक्षा कह रहे हैं .

इन्हें ही पता चलता है कि राम कहाँ पैदा हुए थे . और ये भी कि वो जो बाबर की मस्जिद है उसी के नीचे पैदा हुए थे .

ये भाजपा में भी हैं और कांग्रेस में भी .

औरतों की बराबरी , जाति का सवाल , आर्थिक समानता की बातों को ये लोग चीन के माओवादियों का षड्यंत्र बताते हैं .

बड़ी होशियारी से ये असली मुद्दों से ध्यान भटकाते हैं .

जैसे ही लोग असली मुद्दों पर सवाल उठाते हैं ये तुरंत एक बम धमाका या दंगा करवाते हैं .

ये लोग डरते हैं कि हज़ारों सालों से बिना मेहनत किये जो अपने धर्म , जाति या आर्थिक शोषण की व्यवस्था की वजह से मज़ा कर रहे हैं उनके हाथ से कहीं ये सत्ता निकल ना जाय .

लेकिन इस नकली सत्ता की जिंदगी ज़्यादा दिन नहीं बची है .


मोदी की फर्ज़ी डिग्री का मामला गरमाया हुआ है

मुझे नहीं लगता यह कोई राजनैतिक मुद्दा है

क्योंकि पढ़ा लिखा ना होना कोई बुरी बात नहीं है

बिना पढ़े लिखे लोग भी अच्छे होते हैं

और पढ़े लिखे लोग भी भ्रष्ट और क्रूर होते हैं

अगर मोदी पढ़े लिखे नहीं है तो यह कोई बुरी बात नहीं थी

बुरी बात यह हुई कि मोदी नें अपने पढ़ाई के बारे में झूठ बोला

हांलाकि मोदी नें पन्द्रह साल पहले एक टीवी इंटरव्यू में स्वीकार किया था कि उन्हें हाई स्कूल से ज़्यादा पढ़ने का मौका नहीं मिला

लेकिन बाद में जब उनके प्रधान मंत्री बनने की संभावनाएं बनी तो उन्होंने झूठ का सहारा लिया

उन्होंने अपने चुनावी एफिडेविट में खुद को एमए लिख दिया

इसके बाद मोदी खुद अपने बिछाए जाल में फंसते चले गए

लेकिन मोदी और भाजपा की पूरी राजनीति ही झूठ पर आधारित थी

चुनाव से पहले फोटोशाप चित्रों के माध्यम से मोदी का झूठा प्रचार किया गया

सिंगापूर और चीन के चित्रों को गुजरात के विकास के चित्र बता कर हवा बनाई गयी

ओबामा और उसकी पत्नी मिशेल के चित्र में से मिशेल के चित्र को हटा कर वहाँ मोदी का चित्र चिपका कर मोदी को महान नेता बताया गया

शेरों के साथ जाते बौद्ध भिक्षु के चित्र को हटा कर वहाँ मोदी का चित्र चिपका दिया गया और डींगें हांकी गयीं कि देखो मोदी कितने बहादुर नेता हैं

असल में संघ और भाजपा की पूरी राजनीति झूठ पर ही टिकी हुई है

कुछ दिन पहले संघियों नें नेहरु जी के कांग्रेस सेवा दल शिविरों के चित्र जिसमें नेहरु नें निकर पहना हुआ है यह कह कर प्रकाशित किये

कि देखो नेहरु भी संघ की शाखाओं में जाते थे .

मेरे ताउजी भी नेहरु जी के साथ इन शिविरों में जाते थे

मैंने जब संघियों के झूठ की पोल खोलने के लिए अपने ताउजी और नेहरु जी के फोटो प्रकाशित किये

तो संघियों नें मेरे पारिवारिक चित्रों को भी संघ की शाखाओं के चित्र कह कर झूठे विवरण के साथ प्रकाशित करना शुरू कर दिया

संघ नें शुरू से ही झूठ के आधार पर अपनी राजनीति चलाई है .

भारत के इतिहास के बारे में संघ नें युवाओं में झूठी जानकारियाँ भरीं

झूठ पर टिकाया हुआ महल कितने दिन चलेगा ?

संघ अपने झूठ के किले को तलवारों और बंदूकों की ताकत से टिकाये रखना चाहता है

इसलिए जब संघ गांधी को सत्य की लड़ाई में नहीं हरा पाता

तब संघ गांधी को गोली मार देता है

आज भी संघ गाली गलौज , मार काट और हिंसा के द्वारा खुद के अस्तित्व को टिका कर रखने की कोशिश कर रहा है

लेकिन यह सब कुछ ही दिन की बात है

झूठ पर टिका हुआ यह पूरा साम्राज्य इतिहास बन जाएगा

नया ज़माना जानकारी और तर्क का है

साथी दिलीप मंडल और सत्यनारायण का स्टेटस टांक रहा हूं।



Dilip C Mandal

बंद हो डिग्री विवाद!

केजरीवाल तो हुलेले पॉलिटिक्स वाले हैं. उनके लिए क्या सम्मान और क्या असम्मान. लेकिन बीजेपी तो इस देश की सबसे बड़ी पार्टी है. हिंदू महासभा से जोड़ें तो लगभग सौ साल की विरासत है.

मुझे उम्मीद नहीं थी कि पार्टी अध्यक्ष और देश के वित्त मंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सबको बताएंगे कि पप्पू पास हुआ था.

प्रधानमंत्री पद की गरिमा को इतने निचले स्तर पर ले जाने के लिए केजरीवाल, अमित शाह और अरुण जेटली तीनों अपराधी हैं. तीनों नंगे होकर कीचड़ में नहा रहे हैं. शर्म आनी चाहिए.

प्रधानमंत्री का काम बोलता है. डिग्री का क्या करना? वरना किसी प्रोफेसर को बना दीजिए पीएम. खूब लेक्चर देगा.

प्रधानमंत्री की नीयत से देश को मतलब होना चाहिए. उनकी डिग्री का क्या अचार बनाना है? क्या करेंगे आप उन डिग्री का.

भारी डिग्रियों वाले मूर्खों की कमी है क्या?

प्रधानमंत्री की आलोचना उनकी नीति और नीयत के आधार पर होनी चाहिये. डिग्री के लिए नहीं. नीति और नीयत की कसौटी पर नरेंद्र मोदी का परफॉर्मेंस बेहद बुरा है. उन्हें वहीं पकड़ा जाए.

बंद हो यह डिग्री विवाद!

Satya Narayan

डीयू के रजिस्ट्रार तरुण दास ने कहा- हमने रिकॉर्ड्स चेक किए और मोदी की डिग्री को सही पाया।
- दास ने कहा- मोदी ने एग्जाम 1978 में क्लियर किए थे। डिग्री उन्हें 1979 में दी गई थी।
- मार्क्स के कैलकुलेशन और मार्क्सशीट में टाइप अंकों में फर्क पर दास ने कहा- हर रद्दोबदल पर कमेंट करना पॉसिबल नहीं है।
- "मैं सिर्फ इतना कन्फर्म कर सकता हूं कि मोदी की डिग्री सही है।"

विश्‍वविद्यालय के रजिस्‍ट्रार का ये अंतिम कमेंट बहुत कुछ बयां कर रहा है।


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