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ভিটেহারা ঘরপোড়া উদ্বাস্তু বা্ঙালি Subodh Biswas

Next: धर्मोन्मादी हिंदुत्व की नई संस्कृति का भयंकर नजारा केसरिया बंगाल भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने साफ साफ कह दिया कि यादवपुर यूनिवर्सिटी की लड़कियां बेशर्म हैं। उन्होंने छेड़खानी की आधारहीन शिकायत दर्ज कराई है। वे लड़कों के ऊपर लेटी रहती हैं और बाद में छेड़खानी की शिकायत दर्ज कराती हैं। बंगाल की मां माटी मानुष सरकार की महिला मुख्यमंत्री को अपने खास ताल्लुक में देश ही नहीं,दुनियाभर में मशहूर एक विश्वविद्यालय कैंपस पर बार बार बजरंगी धावा,कैंपस में छात्राओं के साथ छेड़खानी,राज्यपाल के मार्फत उपकुलपति पर नाजायज दबाव और विश्वविद्यालय की स्वायत्तता में अविराम हस्तक्षेप की तो परवाह मोदी गठबंधन के मुताबिक फिर सत्ता में वापसी की गरज और शारदा नारदा की मजबूरी से नहीं ही रही होगी,लेकिन एक नागरिक और एक महिला की हैसियत से यादवपुर की छात्राओं की शारीरिक और मौखिक श्लीलताहानि से इतनी अविचल रहकर उनने बंगाल को केसरिया बनाने के हिदुत्व एजंडे को अपना खुल्ला समर्थन दे दिया है और अब बंगाल औ बंगाली अच्छीतरह समझ लें कि तृणमूल समर्थक सर्वे में भाजपा को नौ सीटों और मालदा में कमसकम चार सीटों प
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ভিটেহারা ঘরপোড়া উদ্বাস্তু বা্ঙালি


Subodh Biswas

15-05-2016
08:03

বাংলা ভাগ পূর্ববঙ্গে জনগোষ্ঠীকে সমূলে নিপাত করেছে। তার পরিনতি বিভিন্ন রাজ্যের ছিন্নমূল বাঙালিদের জীবনে আজও এক অভিশাপ।
৭১ দশকের পরে পূর্ববাঙলা থেকে হাজার হাজার হিন্দু বাঙালি ঘরবাধার আশায় পাড়ী জমিয়ছিল উওর প্রদেশের হস্তিনাপুরে।তাদের ভাগ্যে পুনর্বসন জোটেনি। বাধ্যহয়ে হাজার হাজার পরিবার গঙ্গার বালুচরে অস্থায়ী ভাবে মাথাগোজার একটু ঠিকানা করেনিয়েছিল।মা গঙ্গা বাদসাধল।গঙ্গার প্লাবনে ক্ষনিকের মধ্যে সমস্ত ঘরবাড়ী নদীর কবলে চলেযায়।আবার তারা উদ্বাস্তু হয়েযায়।বার বার গঙ্গামায়ের ছোবলথেকে বাঁচতে পার্শস্থ্য সরকারী ভূমীতে খড়কুটো দিয়ে ঘরবানিয়ে বসবাস করতে থাকে।আজও তারা ভূমীহীন।তাদের সাংবিধানিক কোনঅধিকার নেই।
উদ্বাস্তুদের কায়িক পরিশ্রম করে বেচেথাকতে হয়।লেখাপড়া তাদের কাছে অলিক স্বপ্ন। অর্থ ও খাদ্যের সন্ধানে সকাল বেলায় বেরিয় পড়ে সম্পুর্ন গ্রামবাসী।
অগ্নিদেবতা বিরুপ হলেন।সম্পূর্ন নাঙলা উদ্বাস্তু গ্রাম চোঁখের পলকে পুড়ে শ্বশ্বানের ছাই গেলো। প্রশাসনিক বিন্দুমাএ সাহায্য তারা পায়নি।এরুপ এই গ্রামটি তিনবার পুড়েছে।অনেকের ধারনা ভূমি মাফিয়েদর অপকর্ম ।
২০১২ সালে হতভাগ্য উদ্বাস্তুদের মাঝে আশার আলোহয়ে দেখাদেয় নিখিল ভারত বাঙালি উদ্বাস্তু স সমিতি নামক একটি সংগঠন। হস্তিনাপুর জেলাকমিটির সভাপতি রাজু রায় ও তপন ঢালীর নেতৃত্ব সাহায্যের হাতবাডিয়ে দেন।
প্রদেশ সভাপতি উদ্বাস্তু দরদী ডা আর এন দাস ও সম্পাদক এ্যাড দীপঙ্কর বৈরাগী সহ অনেকে চাউল ডাউল নিয়ে ছুটে আসেন।প্রতিবেসী মেরাট কমিটির সভাপতি শ্যামল মন্ডল দলবলনিয় আত্মজদের পাশে দাড়ান।
কেন্দ্রীকমিটির সমাজব্রতি নেতা অম্বিকা রায়ের নেতৃত্ব দিল্লীথেকে ছুটেযান নিলিমা বিশ্বাস,গৌতম বিশ্বাস কমলেষ ঘরামী।দিল্লী কমিটির সম্পাদক তাপস রায় সহ অনেকে সাহায্যের হাতবাড়িয়ে দেয়।মেরাটের সুপরিচিত জনপ্রিয় ব্যাক্তিত্ব ডা গৌতম বিশ্বাসের অবদান ভোলার নয়।সমিতির মহতি উদ্দ্যোগকে সাধুবাদ জানাই।

পুড়ে যাওয়া ঘরবাড়ী।ছবিতে আছেন ডা আর এন দাস ,রাজু রায় সহ অনেকে






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