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RSS के कट्टर जातिवादी अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख ब्राह्मण मनमोहन वैद्य. ने अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए लड़ते लड़ते शहीद हो गए हैदराबाद यूनिवर्सिटी के PHD के युवा छात्र रोहित बेमुला को देशद्रोही कहा और भाजप के कट्टर जातिवादी ब्राह्मण नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने रोहित बेमुला को मृत्यु की और धकेलनेवालो के विरुद्ध में आवाज उठानेवालो को कुत्ते कहा... 1. क्या RSS देशप्रेमी संगठन है?

Next: #‎JusticeforRohithVemula‬ Thanks Didi Modi alliance that RSS dares to thrash students right in Kolkata.It is University strike countrywide today to dismiss Manusmriti! ‪#‎আন্দোলনেই‬ করবো শেষ ল্যাজ গুটিয়ে আর এস এস। Donald Trump is the next BIRANCHI Baba to declare the war against Islam as RSS branded Kalki,the ultimate Ginnie has declared.Bfore making the globe free of Islam,RSS is all set to make India free of Bahujan samaj,the SC,st and OBC and the Non Hindus including christians,Sikhs and Buddhists!Thus the Shambuks have to be killed to continue the Bull Run to sustain Manusmirti! If a man were porter of hell-gate, he should have old turning the key. Who's there, in the other devil's name? Faith, here's an equivocator, that could swear in both the scales against either scale; who committed treason enough for God's sake, yet could not equivocate to heaven: O, come in, equivocator. Noam Chomsky, the noted radical and MIT professor emeritus, said the Republican Party has become so ext
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RSS के कट्टर जातिवादी अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख ब्राह्मण मनमोहन वैद्य. ने अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए लड़ते लड़ते शहीद हो गए हैदराबाद यूनिवर्सिटी के PHD के युवा छात्र रोहित बेमुला को देशद्रोही कहा और भाजप के कट्टर जातिवादी ब्राह्मण नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने रोहित बेमुला को मृत्यु की और धकेलनेवालो के विरुद्ध में आवाज उठानेवालो को कुत्ते कहा...

1. क्या RSS देशप्रेमी संगठन है?
हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के खुदकशी करने वाले छात्र रोहित वेमुला को RSS ने देशद्रोही क़रार दिया है। दूसरी तरफ रोहित के खुदकशी करने पर देश भर में विरोध हो रहा है। इस पर ख़ुदकुशी के विरोध में उठ रही आवाज़ों के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कहा है कि विश्वविद्यालय के छात्र किसी देशद्रोही के समर्थन में आंदोलन कैसे कर सकते हैं?

आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉक्टर मनमोहन वैद्य ने नागपुर के रेशमीबाग स्थित संघ कार्यालय में बीबीसी हिंदी से बातचीत में यह सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई सजा का विरोध करने वाले तत्व विश्वविद्यालय में कैसे हो सकते हैं. रोहित वेमुला हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के शोध छात्र थे. विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें और उनके चार साथियों को निलंबित कर दिया था. इसके विरोध में वो आंदोलन कर रहे थे. 17 जनवरी को रोहित ने फांसी लगाकर ख़ुदकुशी कर ली थी. हैदराबाद यूनिवर्सिटी में खुदकशी करने वाले को RSS ने देशद्रोही क़रारा दिया है। देखिये ये लिंक.. http://crimeindiaonline.com/news.php?news_id=1255

प्रश्न ये है की RSS की स्थापना 1925 से लेकर 15 अगस्त 1947 तक RSS के एक भी ब्राह्मण नेता ने ब्रिटिश शासन को समर्थन देना बंध किया? देश के आझादी के आन्दोलन का विरोध करना बंध किया था? 

"जेल जाना फांसी चढ़ना कोई देशभक्ति नहीं, बल्कि छिछोरी देशभक्ति और प्रसिद्धि की लालसा है ।"संघ वृक्ष के बीज, लेखक, - RSS के प्रथम ब्राह्मण सर संघचालक,केशवराव बलिराम हेडगेवार.. (आरएसएस प्रकाशन )

"शहीद भगत सिंह राजगुरु सुखदेव इन की कुर्बानियों से देश का कोई हित नहीं होता!" बंच ऑफ़ थॉट्स, लेखक- RSS के दुसरे ब्राह्मण सर संघचालक, एमएस गोलवलकर.. (आरएसएस प्रकाशन) 

एक प्रश्न बार बार उठता है कि RSS के कट्टर पंडित नेताओ या पंडित स्वयंसेवकों 1947 तक ब्रिटिश सत्ता के समर्थक रहे और देश के आझादी के आन्दोलन के विरोधी रहे थे, फिर वे राष्ट्रवादी कैसे और हिन्दूवादी कैसे? क्या किसी विदेशी शासन का गुलाम रहेना, गुलामी सहेना और गुलामी का समर्थक बना रहेना राष्ट्रवाद या हिन्दुवाद है? देखिये लिंक..
https://web.facebook.com/notes/jayantibhai-manani/ब्रिटिशराज-के-समर्थक-आझादी-के-आन्दोलन-विरोधी-rss-के-जातिवादी-पंडित-नेताओ-डॉ-हेडग/451782238182964

2. हैदराबाद में एक एससी छात्र रोहित बेमुला की खुदकुशी के बाद पुरे भारतमें एससी, एसटी और ओबीसी संगठनो और विरोधपक्षों के आंदोलन आज भी जारी है. इस बीच बीजेपी के सीनियर कट्टर जातिवादी ब्राह्मण नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने विरोध करने वालों पर ही विवादित बयान दे डाला है. स्वामी ने विरोध करने वालों की तुलना व्यवस्था का पीछा करने वाले कुत्तों से की है. देखिये लिंक.. http://abpnews.abplive.in/india-news/hu-protest-become-a-drama-says-subramanian-swamy-319697/
.
प्रश्न ये है की देश में लोकतंत्र है या जातितंत्र? देश में संविधान का शासन है या मनुस्मृति का?

कट्टर जातिवादी पंडित सुब्रह्मण्यम स्वामी ओबीसी, एससी और एसटी समुदाय से रोहित बेमुला की आत्महत्या के विरुध्ध आवाज उठा रहे है उसे कुत्ताओ कहते है.

आसाराम, ज्योतिषबद्रिकाश्रम के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जैसे ब्राह्मण पंडितो और पौराणिक ब्राह्मण धर्म की चार वर्ण की व्यवस्था से उत्पन्न जातिवादी प्रभुत्व से पीड़ित पिछड़े भारत के बारे में स्वामी विवेकानंद ने "जाति, संस्कृति और समाजवाद " पुस्तक के पेज 35-36 में कहा है, -

"भाई ! दक्षिण भारत में उच्च वर्ण के लोग नीचले वर्ण के लोगो को जिस तरह परेशान करते है, उनके भयंकर अनुभव मुझे हुवे है. जो धर्म गरीबो के दुःख दूर न करे और मानव को देव न बनाये वह क्या धर्म है.? तुम मानते हो की हमारा धर्म 'धर्म' नाम के लायक है.?

हमारा धर्म यानी केवल 'छुओ मत', 'छुओ मत' है. अरे भगवान ! जिस देश के नेताओ(ब्राह्मण पंडितो) गत दो हजार वर्षों से दाहिने हाथ से खाए या बाये हाथ से, 'दाई और से पानी पिए या बायीं और से'. ऐसी चर्चा करते आये है उस देश का विनाश न होगा तो किसका होगा ?
............जिस देश के लाखो लोगो महुए के फुल खाकर जी रहे है और दश-विश लाख साधुओ तथा एक करोड ब्राह्मणों इस गरीब लोगो का रक्त चूसते है और उनकी उन्नति के लिए रत्ती भर भी प्रयास नही करते, उसे देश कहे या नरक.? इसे धर्म कहे या पिशाच का तांडव.?" 

सुब्रह्मण्यम स्वामी जैसे कट्टर जातिवादी ब्राह्मण पंडितो के बारे में स्वामी विवेकानंद ने आगे कहा है, - 

"आओ, मनुष्य बनो! उन पाखण्डी पुरोहितों(ब्राह्मण पंडितो) को, जो सदैव उन्नत्ति के मार्ग में बाधक होते हैं, ठोकरें मारकर निकाल दो, क्योंकि उनका सुधार कभी न होगा, उन्के हृदय कभी विशाल न होंगे। उनकी उत्पत्ति तो सैकडों वर्षों के अन्धविश्वासों और अत्याचारों के फलस्वरूप हुई है। पहले पुरोहिती पाखंड को ज़ड - मूल से निकाल फेंको। आओ, मनुष्य बनो। कूपमंडूकता छोडो और बाहर दृष्टि डालो। देखो, अन्य देश किस तरह आगे बढ रहे हैं।" देखिये लिंक..
https://web.facebook.com/notes/jayantibhai-manani/स्वामी-विवेकानन्द-की-नजर-में-रोंग-नंबर-थे-पौराणिक-ब्राह्मण-धर्म-rss-के-पंडित-नेत/236172229743967

3. देश का संविधान लागु करो..
देश की 54% से ज्यादा आबादी होते हुवे भी संवैधानिक मंडल कमीशन की संवैधानिक सिफारिसो में से 80% सिफारिसो को जातिवादियो ने लागु नहीं होने दिया.. देश के 16% एससी समुदाय को आज भी सामाजिक उच्च नीच के भेद से प्रताड़ित किया जा रहा है. 8% से ज्यादा एसटी समुदाय के संवैधानिक अधिकारों की धजिया उड़ाई जा रही है..

पिछड़े वर्गों के रोहित वेमुला जैसे कई युवा छात्रो को परशुराम और द्रोणाचार्य के वारिसो ने यूनिवर्सिटी के प्रशासको ने आत्महत्या की और धकेल दिया है. ओबीसी, एससी और एसटी एक है अलग नहीं है. अब बिनपक्षीय रूप से एक राष्ट्रिय आवाज संविधान लागु करो और प्रशासन में ओबीसी, एससी और एसटी की हिस्स्र्दारी स्थापित करो या खुर्शी खाली करो को बुलंद करने का समय आ गया है.
RSS के कट्टर जातिवादी अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख ब्राह्मण मनमोहन वैद्य. ने अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए लड़ते लड़ते शहीद हो गए हैदराबाद यूनिवर्सिटी के PHD के युवा छात्र रोहित बेमुला को देशद्रोही कहा और भाजप के कट्टर जातिवादी ब्राह्मण नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने रोहित बेमुला को मृत्यु की और धकेलनेवालो के विरुद्ध में आवाज उठानेवालो को कुत्ते कहा...

1. क्या RSS देशप्रेमी संगठन है?
हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के खुदकशी करने वाले छात्र रोहित वेमुला को RSS ने देशद्रोही क़रार दिया है। दूसरी तरफ रोहित के खुदकशी करने पर देश भर में विरोध हो रहा है। इस पर ख़ुदकुशी के विरोध में उठ रही आवाज़ों के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कहा है कि विश्वविद्यालय के छात्र किसी देशद्रोही के समर्थन में आंदोलन कैसे कर सकते हैं?

आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉक्टर मनमोहन वैद्य ने नागपुर के रेशमीबाग स्थित संघ कार्यालय में बीबीसी हिंदी से बातचीत में यह सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई सजा का विरोध करने वाले तत्व विश्वविद्यालय में कैसे हो सकते हैं. रोहित वेमुला हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के शोध छात्र थे. विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें और उनके चार साथियों को निलंबित कर दिया था. इसके विरोध में वो आंदोलन कर रहे थे. 17 जनवरी को रोहित ने फांसी लगाकर ख़ुदकुशी कर ली थी. हैदराबाद यूनिवर्सिटी में खुदकशी करने वाले को RSS ने देशद्रोही क़रारा दिया है। देखिये ये लिंक.. http://crimeindiaonline.com/news.php?news_id=1255

प्रश्न ये है की RSS की स्थापना 1925 से लेकर 15 अगस्त 1947 तक RSS के एक भी ब्राह्मण नेता ने ब्रिटिश शासन को समर्थन देना बंध किया? देश के आझादी के आन्दोलन का विरोध करना बंध किया था? 

"जेल जाना फांसी चढ़ना कोई देशभक्ति नहीं, बल्कि छिछोरी देशभक्ति और प्रसिद्धि की लालसा है ।"संघ वृक्ष के बीज, लेखक, - RSS के प्रथम ब्राह्मण सर संघचालक,केशवराव बलिराम हेडगेवार.. (आरएसएस प्रकाशन )

"शहीद भगत सिंह राजगुरु सुखदेव इन की कुर्बानियों से देश का कोई हित नहीं होता!" बंच ऑफ़ थॉट्स, लेखक- RSS के दुसरे ब्राह्मण सर संघचालक, एमएस गोलवलकर.. (आरएसएस प्रकाशन) 

एक प्रश्न बार बार उठता है कि RSS के कट्टर पंडित नेताओ या पंडित स्वयंसेवकों 1947 तक ब्रिटिश सत्ता के समर्थक रहे और देश के आझादी के आन्दोलन के विरोधी रहे थे, फिर वे राष्ट्रवादी कैसे और हिन्दूवादी कैसे? क्या किसी विदेशी शासन का गुलाम रहेना, गुलामी सहेना और गुलामी का समर्थक बना रहेना राष्ट्रवाद या हिन्दुवाद है? देखिये लिंक..
https://web.facebook.com/notes/jayantibhai-manani/ब्रिटिशराज-के-समर्थक-आझादी-के-आन्दोलन-विरोधी-rss-के-जातिवादी-पंडित-नेताओ-डॉ-हेडग/451782238182964

2. हैदराबाद में एक एससी छात्र रोहित बेमुला की खुदकुशी के बाद पुरे भारतमें एससी, एसटी और ओबीसी संगठनो और विरोधपक्षों के आंदोलन आज भी जारी है. इस बीच बीजेपी के सीनियर कट्टर जातिवादी ब्राह्मण नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने विरोध करने वालों पर ही विवादित बयान दे डाला है. स्वामी ने विरोध करने वालों की तुलना व्यवस्था का पीछा करने वाले कुत्तों से की है. देखिये लिंक.. http://abpnews.abplive.in/india-news/hu-protest-become-a-drama-says-subramanian-swamy-319697/
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प्रश्न ये है की देश में लोकतंत्र है या जातितंत्र? देश में संविधान का शासन है या मनुस्मृति का?

कट्टर जातिवादी पंडित सुब्रह्मण्यम स्वामी ओबीसी, एससी और एसटी समुदाय से रोहित बेमुला की आत्महत्या के विरुध्ध आवाज उठा रहे है उसे कुत्ताओ कहते है.

आसाराम, ज्योतिषबद्रिकाश्रम के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जैसे ब्राह्मण पंडितो और पौराणिक ब्राह्मण धर्म की चार वर्ण की व्यवस्था से उत्पन्न जातिवादी प्रभुत्व से पीड़ित पिछड़े भारत के बारे में स्वामी विवेकानंद ने "जाति, संस्कृति और समाजवाद " पुस्तक के पेज 35-36 में कहा है, -

"भाई ! दक्षिण भारत में उच्च वर्ण के लोग नीचले वर्ण के लोगो को जिस तरह परेशान करते है, उनके भयंकर अनुभव मुझे हुवे है. जो धर्म गरीबो के दुःख दूर न करे और मानव को देव न बनाये वह क्या धर्म है.? तुम मानते हो की हमारा धर्म 'धर्म' नाम के लायक है.?

हमारा धर्म यानी केवल 'छुओ मत', 'छुओ मत' है. अरे भगवान ! जिस देश के नेताओ(ब्राह्मण पंडितो) गत दो हजार वर्षों से दाहिने हाथ से खाए या बाये हाथ से, 'दाई और से पानी पिए या बायीं और से'. ऐसी चर्चा करते आये है उस देश का विनाश न होगा तो किसका होगा ?
............जिस देश के लाखो लोगो महुए के फुल खाकर जी रहे है और दश-विश लाख साधुओ तथा एक करोड ब्राह्मणों इस गरीब लोगो का रक्त चूसते है और उनकी उन्नति के लिए रत्ती भर भी प्रयास नही करते, उसे देश कहे या नरक.? इसे धर्म कहे या पिशाच का तांडव.?" 

सुब्रह्मण्यम स्वामी जैसे कट्टर जातिवादी ब्राह्मण पंडितो के बारे में स्वामी विवेकानंद ने आगे कहा है, - 

"आओ, मनुष्य बनो! उन पाखण्डी पुरोहितों(ब्राह्मण पंडितो) को, जो सदैव उन्नत्ति के मार्ग में बाधक होते हैं, ठोकरें मारकर निकाल दो, क्योंकि उनका सुधार कभी न होगा, उन्के हृदय कभी विशाल न होंगे। उनकी उत्पत्ति तो सैकडों वर्षों के अन्धविश्वासों और अत्याचारों के फलस्वरूप हुई है। पहले पुरोहिती पाखंड को ज़ड - मूल से निकाल फेंको। आओ, मनुष्य बनो। कूपमंडूकता छोडो और बाहर दृष्टि डालो। देखो, अन्य देश किस तरह आगे बढ रहे हैं।" देखिये लिंक..
https://web.facebook.com/notes/jayantibhai-manani/स्वामी-विवेकानन्द-की-नजर-में-रोंग-नंबर-थे-पौराणिक-ब्राह्मण-धर्म-rss-के-पंडित-नेत/236172229743967

3. देश का संविधान लागु करो..
देश की 54% से ज्यादा आबादी होते हुवे भी संवैधानिक मंडल कमीशन की संवैधानिक सिफारिसो में से 80% सिफारिसो को जातिवादियो ने लागु नहीं होने दिया.. देश के 16% एससी समुदाय को आज भी सामाजिक उच्च नीच के भेद से प्रताड़ित किया जा रहा है. 8% से ज्यादा एसटी समुदाय के संवैधानिक अधिकारों की धजिया उड़ाई जा रही है..

पिछड़े वर्गों के रोहित वेमुला जैसे कई युवा छात्रो को परशुराम और द्रोणाचार्य के वारिसो ने यूनिवर्सिटी के प्रशासको ने आत्महत्या की और धकेल दिया है. ओबीसी, एससी और एसटी एक है अलग नहीं है. अब बिनपक्षीय रूप से एक राष्ट्रिय आवाज संविधान लागु करो और प्रशासन में ओबीसी, एससी और एसटी की हिस्स्र्दारी स्थापित करो या खुर्शी खाली करो को बुलंद करने का समय आ गया है.

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